मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

bundeli laghukatha

                              bundeliबुन्देली लघुकथा :- ''अंगे्रजी कौ अखबार
       
                                                               (- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी)
            मैं एक दिना एक पोथी-पत्र बेचनवारे की दुकान में ठाँड़ौं भओ हतौ औ अपने लानें कछु बन्न-बन्न की पोथीं नबेर रओ तो। इतेक में मैलो कुचेलौ सौ एक दस साल कौ मोंड़ा ऊ दुकानवारे सें अंग्रेजी कौ पेपर माँगन लगों, तो मोरो ध्यान ऊके लेंगर चलौ गओ,मैंने ऊसें जा पूँछी कै- का तुमें अंगे्रजी पढ़वौ आत है ?
            तौ वो मौड़ा दाँत निकारकें मुस्की मारकें बोलो- काय भुन्सोरे सें हमर्इ से चौले(मज़ाक) करत हौ साब? हमतौ निपट गँवार,अनपढ़ गरीब है। हम कितै इस्कूल जात।
तौ फिर जौ अंग्रेजी कौ अखबार काय खों औ कितै लयँ जा रए हौ, मैंने ऊसें जा पूछी ?
             तौ वो बोलो साब दो रुपैया में र्इ अखबार में एनइँ बिलात पन्ना आत है,बाज़ार में रददी खरीदन जाओ तौ दस रुपैया किलो मिलत है।  हम र्इ में मूँमफली धरकें मोटरन में बेंचते है। दिनभर कौ काम र्इसें चल जात है। मैं जा सुनकै रै गओ, का करतो, ऊ साँची कत हतो।   

    -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
     संपादक 'आकांक्षा पत्रिकाbundeli laghukatha
      अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
    शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
       पिन:472001 मोबाइल-9893520965
     E Mail-   ranalidhori@gmail.com
 Blog - rajeev  rana lidhori.blogspot.com
                       

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें