बुन्देलखण्ड कौं पैलौ 'आनलाइन पुस्तकालय-
(आलेख-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी)
बुन्देलखण्ड़ ऊसे तौ भौत पिछड़ों भओ है पे कछु बातन में जौ सबसे अगाऊ सोर्इ है जैसे कि अपनौ टीकमगढ़ जिले कौ सरकारी पुस्तकालय। जौ पुस्तकालय पिरदेश भरै में नर्इ तौ बुन्देलखण्ड़ कौ तो पैलो आन लाइन पुस्तकालय है। इतै के लाइबे्ररियन होशंगाबाद में जन्मे श्री विजय कुमार जी मेहरा है जौ कि भौत साहित्य पै्रमी है उने पुस्तकन से इतैक जादा पै्रम है कि उनने जौ पुस्तकालय अकेले अपने दम पे र्इ पुस्तकालय में धरी लगभग पन्द्रह हजार पुस्कतन की सूची तैयार कर लर्इ है और बाकी कौ तैयार करबे में लगे है। र्इके लाने उनने अपने पइसा से एक लेपटाप खरीदो और दो साल से मेहनत करके सबरौ पुस्तकालय हाइटेक कर लओ। अब पुस्तक पढ़वे वारन खौं उनकी पसंद की पुस्कत एक किलक दबाउतन ही मिल जात। अब उने ढूँढ़ने नर्इ परत,झटटर्इ से पुस्तकन कौ नम्बर मिल जात है।
र्इ पुस्तकालय के बारे में टीकमगढ़ के श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद टीकमगढ़ के अध्यक्ष साहित्यकार पं. हरिविष्णु अवस्थी जू ने हमें एैसो बताऔ है कि जौ पुस्तकालय भौत पुरानो राजशाही जमाने कौ सन 1930 कौ है। पैला इते के महाराजा वीर सिंह भौत साहित्य पे्रमी हते उनने सन 1930 में श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद ,'देवेन्द्र पुस्तकालय की स्थापना करीती। सन-1955 में र्इ पुस्तकालय कौ म.प्र.शासन कौ सौप दओ गओ उर र्इ की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग कौ दर्इ गर्इ। तब से अबे लौ जो पुस्तकालय शिक्षा विभाग की देखरेख में चलरओ है।
वैसे तो सालभरे में र्इ पुस्तकालय के रखरखाव के लाने पेलऊ पन्द्रह हजार रूपए वार्षिक मिलरय पै कछु सालन से बेर्इ नर्इ मिल रय। तोर्इ अपनी धुन के पक्के श्री मेहरा जू, जी जान से र्इ पुस्तकालय कौ सजावें-सवाँरवे में लगे है ,पे अपनौ तन,मन,धन सबर्इ र्इ पुस्तकालय कौ दे रये है।
र्इ पुस्तकालय में लगभग बीस हजार पुस्तकें है, इनमें भौत सारी हस्तलिखित पुस्तकें जौन संस्कृत भाषा में लिखी भर्इ है सोर्इ है जौ कि साहित्य कि धरोहर के रूप में धरी हैंं। राजा राम मोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान कोलकाता से प्राप्त लगभग दस हजार पुस्तकें उर लोक शिक्षण संचानालय भोपाल म.प्र. द्वारा प्रदत्त लगभग एक हजार। स्थानीय साहित्यकारों की लगभग सौ से अधिक पुस्तकें इस पुस्तकालय की शोभा बढ़ा रही है। कम जगह होने पे भी करीने से रखी पुस्तकें प्रत्येक अलमारी पर नम्बर व केटलाग दओ गओ हेै कुल मिला कर जो पुस्तकालय बहुत ही आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।
श्री मेहरा जी ने हमें बताओं है कि र्इ पुस्तकालय के लगभग तेरह सौ आजीवन सदस्य तथा 300 सदस्य अस्थार्इ रूप से है। लगभग साठ पाठक इतै पुस्तकें लेवें व समाचार-पत्र पढवें रोजर्इ आत रत है।
इतनौर्इ नर्इ अपने पइसा से इंटरनेट कनेक्शन नेटसेटर के माध्यम से इंटरनेट सेवा करवा लओ, र्इ की मदद से वे पाठखन कौ पुस्तकौं को ढूँढ़ने व ऊ से संबधित जानकारी उपलब्ध करा देत हैं। वो भी मुफत में । र्इकै लाने उससे कोनऊ शुल्क नर्इ लओ जात है, बिल्कुल नि:शुल्क है। पाठकों कौ मात्र र्इ पुस्तकालय कौ सदस्य बनने पड़त है। जी की सदस्यता शुल्क मात्र सौ रूपए हेै तथा दो रूपए कौ फार्म भर कै कौनऊ भी र्इ कौ सदस्य बन सकत है। जै रूइया भी अमानत के रूप में लये जात है जो कि सदस्यता वापिस लेने या खतम करने पर वापिस मिल जात है।
श्री विजय कुमार मेहरा जी की मंशा है कि र्इ पुस्तकालय की एक बेबसाइट बन जाये तो और नोनो रहे पै र्इ कै लाने लगभग बीस हजार रूपइया चाने हैं। कोनऊ सरकारी राशि व मदद न मिलने के कारण अभी इनकी इच्छा अधूरी है लेकिन उनके हौंसले बुलंद है तभी तौ वे शांत नर्इ बैठे है अपने निजी संसाधनो का उपयोग करके तथा मेहरा जी ने स्वयं पुस्तकों की सूची एवं डाटा अपने स्वयं के लेपटाप पै फीड करो है जौ सबरौ डाटा एम.एस.आफिस प्रोग्राम की एक्सल सीट पै बनाओ गओ है र्इ में पुस्तकन कौ नाव,ऊके लेखक कौ नाव, मूल्य,छपवें को सन,पेजन की संख्या व पुस्तक की विषय वस्तु आदि जानकारी दर्इ गयी।
पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की सूची की सोशल साइट फेसबुक पर आनलाइन भी करो गओ है र्इके लाने फेसबुक पे डिस्ट्रक्ट लाइबे्ररी टीकमगढ़ ;क्पेजतपबज सपइतंतल जपांउहंजीद्ध कौ एक पेज बनाओ गओ है जीमे जिला पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की सूची तक पहुँचने के लिए एक लिंक डाला गया है। इस लिंक पे किलक करत ही जिला पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की सबरी जानकारी मिल जात है।
श्री मेहरा जी की साहितियक रूचि का एक और उदाहरण जौ है कि र्इ पुस्तकालय में नगर की सर्वाधिक सक्रिय साहितियक संस्था म.प्र. लेखक संघ अपनी साहितियक गोषिठयाँ हर मइना के आखिरी रविवार कौ आयोजित करत है जीमे नगर के साहित्यकार एक साथ बैठ कर साहित्य का चिंतन व नव सृजन करते है। र्इ काम में श्री मेहरा जी की मदद करवें के लाने श्री परमेश्वरी दास तिवारी जु एवं म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष व साहित्यकार राजीव नामदेव'राना लिधौरीसोर्इ उनके संगे लगेरात है।
श्री मेहरा जी कौ साहित्य व पुस्तक प्रेम कौ देख के नगर की परसिद्ध साहितियक संस्था 'म.प्र. लेखक संघ की जिला इकार्इ टीकमगढ़ के अध्यक्ष राजीव नामदेव 'राना लिधौरी ने इने 'म.प्र. लेखक संघ की 162 वीं गोष्ठी में दिनांक 21 जुलार्इ सन-2012 कौ 'आकांक्षा पत्रिका का विमोचन एवं सम्मान समारोह के सुअवसर पै 'साहित्य सौरभ सम्मान-2012 एवं शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित सोर्इ करो हतो।
र्इ तरहा से जौ पुस्तकालय कम संसाधनों व सीमित स्थान में भी सर्इ माइने में साहित्य की अमूल्य सेवा कर रओ है। र्इकौं सजावे व सवारवें वारे और तन,मन,धन से लगे साहित्य प्रेमी श्री विजय कुमार जी मेहरा जू कौ हम भौत-भौत धन्यवाद देत है।
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिन:472001 मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevrana lidhori.blogspot.com
(आलेख-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी)
बुन्देलखण्ड़ ऊसे तौ भौत पिछड़ों भओ है पे कछु बातन में जौ सबसे अगाऊ सोर्इ है जैसे कि अपनौ टीकमगढ़ जिले कौ सरकारी पुस्तकालय। जौ पुस्तकालय पिरदेश भरै में नर्इ तौ बुन्देलखण्ड़ कौ तो पैलो आन लाइन पुस्तकालय है। इतै के लाइबे्ररियन होशंगाबाद में जन्मे श्री विजय कुमार जी मेहरा है जौ कि भौत साहित्य पै्रमी है उने पुस्तकन से इतैक जादा पै्रम है कि उनने जौ पुस्तकालय अकेले अपने दम पे र्इ पुस्तकालय में धरी लगभग पन्द्रह हजार पुस्कतन की सूची तैयार कर लर्इ है और बाकी कौ तैयार करबे में लगे है। र्इके लाने उनने अपने पइसा से एक लेपटाप खरीदो और दो साल से मेहनत करके सबरौ पुस्तकालय हाइटेक कर लओ। अब पुस्तक पढ़वे वारन खौं उनकी पसंद की पुस्कत एक किलक दबाउतन ही मिल जात। अब उने ढूँढ़ने नर्इ परत,झटटर्इ से पुस्तकन कौ नम्बर मिल जात है।
र्इ पुस्तकालय के बारे में टीकमगढ़ के श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद टीकमगढ़ के अध्यक्ष साहित्यकार पं. हरिविष्णु अवस्थी जू ने हमें एैसो बताऔ है कि जौ पुस्तकालय भौत पुरानो राजशाही जमाने कौ सन 1930 कौ है। पैला इते के महाराजा वीर सिंह भौत साहित्य पे्रमी हते उनने सन 1930 में श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद ,'देवेन्द्र पुस्तकालय की स्थापना करीती। सन-1955 में र्इ पुस्तकालय कौ म.प्र.शासन कौ सौप दओ गओ उर र्इ की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग कौ दर्इ गर्इ। तब से अबे लौ जो पुस्तकालय शिक्षा विभाग की देखरेख में चलरओ है।
वैसे तो सालभरे में र्इ पुस्तकालय के रखरखाव के लाने पेलऊ पन्द्रह हजार रूपए वार्षिक मिलरय पै कछु सालन से बेर्इ नर्इ मिल रय। तोर्इ अपनी धुन के पक्के श्री मेहरा जू, जी जान से र्इ पुस्तकालय कौ सजावें-सवाँरवे में लगे है ,पे अपनौ तन,मन,धन सबर्इ र्इ पुस्तकालय कौ दे रये है।
र्इ पुस्तकालय में लगभग बीस हजार पुस्तकें है, इनमें भौत सारी हस्तलिखित पुस्तकें जौन संस्कृत भाषा में लिखी भर्इ है सोर्इ है जौ कि साहित्य कि धरोहर के रूप में धरी हैंं। राजा राम मोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान कोलकाता से प्राप्त लगभग दस हजार पुस्तकें उर लोक शिक्षण संचानालय भोपाल म.प्र. द्वारा प्रदत्त लगभग एक हजार। स्थानीय साहित्यकारों की लगभग सौ से अधिक पुस्तकें इस पुस्तकालय की शोभा बढ़ा रही है। कम जगह होने पे भी करीने से रखी पुस्तकें प्रत्येक अलमारी पर नम्बर व केटलाग दओ गओ हेै कुल मिला कर जो पुस्तकालय बहुत ही आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।
श्री मेहरा जी ने हमें बताओं है कि र्इ पुस्तकालय के लगभग तेरह सौ आजीवन सदस्य तथा 300 सदस्य अस्थार्इ रूप से है। लगभग साठ पाठक इतै पुस्तकें लेवें व समाचार-पत्र पढवें रोजर्इ आत रत है।
इतनौर्इ नर्इ अपने पइसा से इंटरनेट कनेक्शन नेटसेटर के माध्यम से इंटरनेट सेवा करवा लओ, र्इ की मदद से वे पाठखन कौ पुस्तकौं को ढूँढ़ने व ऊ से संबधित जानकारी उपलब्ध करा देत हैं। वो भी मुफत में । र्इकै लाने उससे कोनऊ शुल्क नर्इ लओ जात है, बिल्कुल नि:शुल्क है। पाठकों कौ मात्र र्इ पुस्तकालय कौ सदस्य बनने पड़त है। जी की सदस्यता शुल्क मात्र सौ रूपए हेै तथा दो रूपए कौ फार्म भर कै कौनऊ भी र्इ कौ सदस्य बन सकत है। जै रूइया भी अमानत के रूप में लये जात है जो कि सदस्यता वापिस लेने या खतम करने पर वापिस मिल जात है।
श्री विजय कुमार मेहरा जी की मंशा है कि र्इ पुस्तकालय की एक बेबसाइट बन जाये तो और नोनो रहे पै र्इ कै लाने लगभग बीस हजार रूपइया चाने हैं। कोनऊ सरकारी राशि व मदद न मिलने के कारण अभी इनकी इच्छा अधूरी है लेकिन उनके हौंसले बुलंद है तभी तौ वे शांत नर्इ बैठे है अपने निजी संसाधनो का उपयोग करके तथा मेहरा जी ने स्वयं पुस्तकों की सूची एवं डाटा अपने स्वयं के लेपटाप पै फीड करो है जौ सबरौ डाटा एम.एस.आफिस प्रोग्राम की एक्सल सीट पै बनाओ गओ है र्इ में पुस्तकन कौ नाव,ऊके लेखक कौ नाव, मूल्य,छपवें को सन,पेजन की संख्या व पुस्तक की विषय वस्तु आदि जानकारी दर्इ गयी।
पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की सूची की सोशल साइट फेसबुक पर आनलाइन भी करो गओ है र्इके लाने फेसबुक पे डिस्ट्रक्ट लाइबे्ररी टीकमगढ़ ;क्पेजतपबज सपइतंतल जपांउहंजीद्ध कौ एक पेज बनाओ गओ है जीमे जिला पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की सूची तक पहुँचने के लिए एक लिंक डाला गया है। इस लिंक पे किलक करत ही जिला पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की सबरी जानकारी मिल जात है।
श्री मेहरा जी की साहितियक रूचि का एक और उदाहरण जौ है कि र्इ पुस्तकालय में नगर की सर्वाधिक सक्रिय साहितियक संस्था म.प्र. लेखक संघ अपनी साहितियक गोषिठयाँ हर मइना के आखिरी रविवार कौ आयोजित करत है जीमे नगर के साहित्यकार एक साथ बैठ कर साहित्य का चिंतन व नव सृजन करते है। र्इ काम में श्री मेहरा जी की मदद करवें के लाने श्री परमेश्वरी दास तिवारी जु एवं म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष व साहित्यकार राजीव नामदेव'राना लिधौरीसोर्इ उनके संगे लगेरात है।
श्री मेहरा जी कौ साहित्य व पुस्तक प्रेम कौ देख के नगर की परसिद्ध साहितियक संस्था 'म.प्र. लेखक संघ की जिला इकार्इ टीकमगढ़ के अध्यक्ष राजीव नामदेव 'राना लिधौरी ने इने 'म.प्र. लेखक संघ की 162 वीं गोष्ठी में दिनांक 21 जुलार्इ सन-2012 कौ 'आकांक्षा पत्रिका का विमोचन एवं सम्मान समारोह के सुअवसर पै 'साहित्य सौरभ सम्मान-2012 एवं शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित सोर्इ करो हतो।
र्इ तरहा से जौ पुस्तकालय कम संसाधनों व सीमित स्थान में भी सर्इ माइने में साहित्य की अमूल्य सेवा कर रओ है। र्इकौं सजावे व सवारवें वारे और तन,मन,धन से लगे साहित्य प्रेमी श्री विजय कुमार जी मेहरा जू कौ हम भौत-भौत धन्यवाद देत है।
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिन:472001 मोबाइल-9893520965
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Blog - rajeevrana lidhori.blogspot.com
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