मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

bundeli laghukatha

                              bundeliबुन्देली लघुकथा :- ''अंगे्रजी कौ अखबार
       
                                                               (- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी)
            मैं एक दिना एक पोथी-पत्र बेचनवारे की दुकान में ठाँड़ौं भओ हतौ औ अपने लानें कछु बन्न-बन्न की पोथीं नबेर रओ तो। इतेक में मैलो कुचेलौ सौ एक दस साल कौ मोंड़ा ऊ दुकानवारे सें अंग्रेजी कौ पेपर माँगन लगों, तो मोरो ध्यान ऊके लेंगर चलौ गओ,मैंने ऊसें जा पूँछी कै- का तुमें अंगे्रजी पढ़वौ आत है ?
            तौ वो मौड़ा दाँत निकारकें मुस्की मारकें बोलो- काय भुन्सोरे सें हमर्इ से चौले(मज़ाक) करत हौ साब? हमतौ निपट गँवार,अनपढ़ गरीब है। हम कितै इस्कूल जात।
तौ फिर जौ अंग्रेजी कौ अखबार काय खों औ कितै लयँ जा रए हौ, मैंने ऊसें जा पूछी ?
             तौ वो बोलो साब दो रुपैया में र्इ अखबार में एनइँ बिलात पन्ना आत है,बाज़ार में रददी खरीदन जाओ तौ दस रुपैया किलो मिलत है।  हम र्इ में मूँमफली धरकें मोटरन में बेंचते है। दिनभर कौ काम र्इसें चल जात है। मैं जा सुनकै रै गओ, का करतो, ऊ साँची कत हतो।   

    -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
     संपादक 'आकांक्षा पत्रिकाbundeli laghukatha
      अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
    शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
       पिन:472001 मोबाइल-9893520965
     E Mail-   ranalidhori@gmail.com
 Blog - rajeev  rana lidhori.blogspot.com
                       

गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
कवि परिचय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
नाम                   -  राजीव नामदेव ''राना लिधौरी
माता पिता का नाम -  श्रीमती मिथलेश नामदेव /श्री सी. एल. नामदेव
पत्नी का नाम      -  श्रीमती रजनी नामदेव            
संतान-                   -कु.
आकांक्षा एवं कु. अनुश्रुति
जन्मतिथि          -  15 जून 1972 (लिधौरा)
शिक्षा              -  बी.एससी.(कृषि) .एम.ए.(हिन्दी), पी.जी.डी.सी.पी.ए.(कम्प्यूटर)
मानद उपाधियाँ     -  डी.एस-सी.र्इ.(डाक्टर आफ साइंस एलिमेन्टोपँथी)(अमरावती), विधावाचस्पति,        (प्रतावगढ), साहित्याचार्य (अहमदाबाद),आचार्य (पानीपत), काव्य महारथी,(हैदराबाद),  
'काव्य भूषण (सतना),'कवि कोकिल(हैदराबाद)
शौक         -   कविताये,ग़ज़लें,आलेख लिखना-पढ़ना,माचिस,सिक्के एंव टिकिट संग्रह करना
मुख्य विधा    -   हास्य एवं श्रृंगार रस में कविताएँ एवं ग़ज़लें लिखना।
विधा          -   कविताये, गजलं व्यग्ंय ,दोहे, क्षणिकाये, हाइकु, व्यंग्य, लघुकथा, कहानी एवं आलेख लिखना
साहित्य यात्रा   -  लगभग 3000 से अधिक कवितायें,ग़ज़लों एवं लेखों आदि की रचना
प्रकाशित काव्य संग्रह
-  (1) ''अर्चना(बहुरंगी कविता संग्रह) सन-1997 (2) ''रजनीगंधा(हाइकु संग्रह) सन-2008
            (3) 'नौनी लगे बुंदेली (बुंदेली हाइकु संग्रह) सन-2010 (विश्व का बुंदेली का प्रथम हाइकु संग्रह)
संपादक    -  (1)'आकांक्षा पत्रिका (टीकमगढ़) (सन 2006 से अब तक)    (2)'संगम पत्रिका (2001)
          (3) 'सृजन पत्रिका (2003)  (4)'अनुरोध पत्रिका (2004)  (5) 'नागफनी का शहर (व्यग्ंय संकलन)(2003)
उपसंपादन    -(1) 'दीपमाला' पत्रिका (सतना) (2000) (2) 'जज़्बात (ग़ज़ल संकलन)(2004)  (3)'श्रोता सुमन   (उन्हेल) (2002) (4) 'चारू चंचला पत्रिका  (तालबेहट) (क्षेत्रिय संपादक)(2005) 

(5)''अभी लंबा है सफर(काव्य संकलन)(2003)
प्रकाशाधीन संग्रह- (1)''राना का नज़राना(ग़ज़ल संग्रह) शीघ्र प्रकाशित      (2) तीर निशाने पर (क्षणिका संग्रह)
               (3) बड़ा ही महत्व हैं (बाल कविता संग्रह)  (4) पूंछ हमारी होती (पध व्यंग्य) (5) 'त्रिशूल( हाइकु संग्रह) (6) आदमी का कुत्तापन (गध व्ंयग्य संग्रह)    (7) कस्तूरी की महक (कुण्डली)  (8) बिजनिस (लधुकथा संग्रह)
    (9) अनुश्रुति (कहानी संग्रह)  (10) परियाे के देश में (बाल कहानी संग्रह) (11) दोहा शतक ।                         
रचना प्रकाशित 
- हिन्दुस्तान टार्इम्स, अंगे्रजी संस्करण (भोपाल) जनवाणी (पंजाबी), सरिता, कादंबिनी, जहांनवी, सरस सलिल,वनिता,सत्यकथा,निरोगधाम, आज,जागरण,भास्कर,नवभारत,अमर उजाला, लोकमत,सहित देश की 350 लब्ध प्रतिषिठत पत्र-पत्रिकाआें में लगभग तीन हजार से भी अघिक रचनाआें एवं लेखाे का प्रकाशन।
कवि सम्मेलन          - 300 से अधिक अ.भा.कवि-सम्मेलनों एवं संगोषिठयों में सफल भागीदारी
प्रसारण- र्इ टी.व्ही.,सहारा,दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के छतरपुर केन्द्र में काव्य पाठ एवं माचिस संग्रह का प्रसारण।
अध्यक्ष     - मध्यप्रदेश लेखक संघ जिला र्इकार्इ टीकमगढ़    
उपाध्यक्ष- म.प्र.तुलसी साहित्य अकादमी जिला इकार्इ टीकमगढ़
आजीवन सदस्य       -(1) मध्यप्रदेश लेखक संघ (भोपाल) (2) साहितियक,सांस्कृतिक कला संगम अकादमी,परियावा (उ.प्र.) (3) 'निर्दलीयसमाचार पत्र (भोपाल)
           (4) जर्जर कश्ती पत्रिका (अलीगढ़)        (5) मकरंदपत्रिका (नोएडा)
सलाहकार/मार्गदर्शक -  1.निर्दलीय (भोपाल) 2.नामदेव क्षत्रिय संकल्प (जबलपुर) 3. भावार्पण(सतना) 4 .युवावाणी (मैनपुरी)    5. तमन्ना (नागपुर)  6. साहित्य सागर (कोरिया) 7. ठेगें पर सब मार दिया (इलाहाबाद)
विशेष      -     1. राना लिधौरी विश्व़ के प्रथम हाइकुकार हैं जिनका बुंदेली में हाइकु संग्रह (नौनी लगे बुंदेली) प्रकाशित हुआ है।
        2.''स्वतंत्र क़लम (टीकमगढ़) समाचार पत्र में स्वयं का स्थायी कालम 'तीर निशाने पर सन 2004 से 2008 तक नियमित प्रकाशित।
सम्मान,पुरस्कार - 18 प्रदेशों से 60 साहितियक सम्मान प्राप्त।         कुछ प्रमुख उपलबिधयाँ निम्न है-
(1) ''देवकी नंदन माहेश्वरी स्मृति सम्मान 2005,साहितियक सस्ंथा 'म.प्र.लेखक संघ,भोपाल द्वारा म.प्र.के महामहिम  राज्यपाल श्री बलराम जखड़ जी के कर कमलों द्वारा (23.10.2005 को भोपाल में)   
(2) ''दुष्यंत कुमार स्मृति सम्मान 2010,अ.भा.हिन्दी साहित्य सम्मेलन,गाजियाबाद द्वारा म.प्र.के महामहिम पूर्व राज्यपाल डा.भीष्म नारायण सिंह़ जी के कर कमलों द्वारा (22.10.2010 को गाजियाबाद में)   
(3) टी.व्ही. चैनल र्इ.टी.व्ही. के प्रसिद्ध हास्य प्रोग्राम 'गुदगुदी में दिनांक 12.11.2005 एवं 17.12.2005 को दो एपीसोड में हास्य कविताओं का प्रसारण।  'गुदगुदी प्रोग्राम एक साथ 12 चैनलों में प्रसारित किया जाता है।
(4) स्लोगन लेखन प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार (2000रु) भारत सरकार केन्दीय नारकोटिक्स ब्यूरो, ग्वालियर (15.8.2007)
(5) स्व.पं.राधिका प्रसाद पाठक हाइकु सम्मान 2011 (2100रू) कादम्बरी संस्था जबलपुर द्वारा (27.11.2011)
(6) पहला बुंदेली पुरस्कार औसर उरर्इ 2012 (स्व.काशीराम वर्मा व स्व.रजपुरा देवी स्मृति सम्मान-2012)
(7) कविवर मैथिलीशरण गुप्त (मथुरा) 1998       (8) हिन्दी विधारत्न भारती सम्मान (प.सरगुजा)1999   

(9) महानुभाव ग्रन्थोत्तेजक पुरस्कार (अमरावती) 2000   
(10) साहित्यकला विधालंकार सम्मान (मथुरा)1999 (11) काव्य शिरोमणि सम्मान (सतना) (12)'काव्य वर्तिका सम्मानअजय प्रकाशन द्वारा वर्धा,(म.राष्ट्र)(2005)
(13) लेखक श्री सम्मान (बैतूल) (1998)        (14) सुरभि साहित्य सौरभ सम्मान श्री 1997(मुम्बर्इ)        (15)'काव्य कृति सम्मान (रारू,इन्दौर) 2000
(16) काव्य वैभव श्री सम्मान (नागपुर)1999         (17) काव्य रत्न सम्मान (बैतूल) 2001        

   (18) काव्य किरीट सम्मान (जालौन)1998
(19) काव्य विभूति सम्मान (प.सिंहभूमि)(1999)    (20) काव्य रसिक सम्मान (बैतूल)2002            (21) सरस्वती साहित्य सौरभ सम्मान 1999(गोरखपुर)
(22) चकित साहित्य सम्मान (भिण्ड)1998        (23) साहित्य सम्मान 2000 (गुना)       (24) साहित्य शिरोमणि सम्मान (खण्डवा)2001
(25) सृजन सम्मान 2000 (राजगढ़)             (26)'सारस्वत साहित्य सम्मान भारतीय वा³मय पीठ साहितियक संस्था,कोलकाता (प.बंगाल) (2005)    
(27) 'साहित्य गौरव श्री सम्मान(टीकमगढ)(2004़)  (28)''मयूर आवार्ड 2005,मयूर कला मंडल,टीकमगढ़ द्वारा सम्मानित (2005)
(29) सृजनिका (नव भारत,जबलपुर) से प्रथम पुरस्कार(1994)                (30) माण्डवी प्रकाशन व मनु कैसेटस,गाजियाबाद (उ.प्र.) द्वारा सम्मानित (2000)
(31) 'यही है फुलटेंशन (मर्इ2005) (मुंबर्इ) द्वारा आयोजित परिचर्चा,में प्रथम पुरस्कार मिला। (मर्इ 2005)
(32) 'शीर्षक बताओ प्रतियोगिता 'जाह्नवी पत्रिका (नर्इ दिल्ली) में द्वितीय पुरस्कार मिला (फरवरी 2005)
(33) ''प्रोत्साहन पुरस्कार(2002),जैन महिला दर्श पत्रिका द्वारा श्रेष्ठ कविता रचना पर,लखनऊ (उ.प्र.)
(34) 'अखिल भारतीय' कविता प्रतियोगिता 2005 में तृतीय स्थान, डा.जयकिरण शोध शिक्षण संस्थान,बडनगर,उज्जैन (म.प्र.)       
(35) ''सांत्वना पुरस्कारअखिल भारतीय हाइकु प्रतियोगिता में चौथा स्थान जैमिनी अकादमी,पानीपत,(हरियाणा) (2003)
(36) ''सांत्वना पुरस्कारअखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता में चौथा स्थान, स्व.अनत रमेश स्मृति,दिल्ली (2007)
(37) दीपांशु साहित्य कला परिषद (इटावा) द्वारा सम्मानित एवं पुरूस्कृत (1995)
(38) एशिया मानव अधिकार शिक्षा संस्थान भोपाल द्वारा टीकमगढ़ एवं जतारा में सम्मानित (2001)
(39) विमोचन समारोह संयोजन समिति,पृथ्वीपुर,टीकमगढ़ (म.प्र.) द्वारा सम्मानित (2001)
(40) शेरे बुन्देल अमर शहीद नारायण दास खरे जन जागरण समिति,टीकमगढ़ द्वारा प्रशसित्र पत्र (2004)
(41) म.प्र.क्रांतिकारी जनजागरण समिति(रजि.),टीकमगढ़ द्वारा सम्मानित (2005)
(42) 735वीं 'नामदेव जयंती पर नामदेव समाज टीकमगढ़ द्वारा सम्मानित (2005)
(43) म.प्र. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति टीकमगढ़ द्वारा दो बार सम्मानित(2007) एवं 'नोनी लगे बुन्देली कृति पर पुन: (2010)
(44) ''हू ज हू इन मध्यप्रदेश (जन परिषद भोपाल) सामान्य ज्ञान पुस्तक में परिचय शामिल (1997)
(45) अ.भा.राष्ट्रभाषा सम्मेलन 2009 हम सब साथ साथ,नर्इ दिल्ली द्वारा(झाँसी) में 'हिन्दी सेवी सम्मान    (2009)
(46) 'र्इमान तंजीम टीकमगढ़ द्वारा सम्मानित (2009)     (45) माधव सम्मान 2008(टीकमगढ)
(48) 'लोक भाषा शिखर सम्मान 'निर्दलीय समाचार पत्र समूहप्रकाशन,भोपाल द्वारा सम्मानित (4.7.2010)
(49) 'साहित्य शलाका सम्मान 'म.प्र. लेखक संघ जिला इकार्इ गुना द्वारा सम्मानित (11.10.2011)
(50) स्व.दाऊ सरदार सिंह स्मृति 29वीं श्रृद्धाजंलि समारोह टीकमगढ़ द्वारा सम्मानित (16.12.2011)
(51) पाठयक्रमों में अनेकों रचनाएँ शामिल एवं अनेक भाषाओं में अनुदित।
सम्प्रति:-(1) संपादक 'आकांक्षा पत्रिका 

             (2) अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ जिला इकार्इ टीकमगढ़(सन 2002 से अब तक)
पता     :-संपादक 'आकांक्षा पत्रिका,नर्इ चर्च के पास,शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़,म.प्र.(भारत) 

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गुरुवार, 21 नवंबर 2013

बुन्देलखण्ड कौं पैलौ 'आनलाइन पुस्तकालय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी

        बुन्देलखण्ड कौं पैलौ 'आनलाइन पुस्तकालय-
                                                (आलेख-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी)
           
            बुन्देलखण्ड़ ऊसे तौ भौत पिछड़ों भओ है पे कछु बातन में जौ सबसे अगाऊ सोर्इ है जैसे कि अपनौ टीकमगढ़ जिले कौ सरकारी पुस्तकालय। जौ पुस्तकालय पिरदेश भरै में नर्इ तौ बुन्देलखण्ड़ कौ तो पैलो आन लाइन पुस्तकालय है। इतै के लाइबे्ररियन होशंगाबाद में जन्मे श्री विजय कुमार जी मेहरा है जौ कि भौत साहित्य पै्रमी है उने पुस्तकन से इतैक जादा पै्रम है कि उनने जौ पुस्तकालय अकेले अपने दम पे र्इ पुस्तकालय में धरी लगभग पन्द्रह हजार पुस्कतन की सूची तैयार कर लर्इ है और बाकी कौ तैयार करबे में लगे है। र्इके लाने उनने अपने पइसा से एक लेपटाप खरीदो  और दो साल से मेहनत करके सबरौ पुस्तकालय हाइटेक कर लओ।  अब पुस्तक पढ़वे वारन खौं उनकी पसंद की पुस्कत एक किलक दबाउतन ही मिल जात।  अब उने ढूँढ़ने नर्इ परत,झटटर्इ से पुस्तकन कौ नम्बर मिल जात है।
            र्इ पुस्तकालय के बारे में टीकमगढ़ के श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद टीकमगढ़ के अध्यक्ष साहित्यकार पं. हरिविष्णु  अवस्थी जू ने हमें एैसो बताऔ है कि जौ पुस्तकालय भौत पुरानो राजशाही जमाने कौ सन 1930 कौ है। पैला इते के महाराजा वीर सिंह भौत साहित्य पे्रमी हते उनने सन 1930 में श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद ,'देवेन्द्र पुस्तकालय की  स्थापना करीती। सन-1955 में र्इ पुस्तकालय कौ म.प्र.शासन कौ सौप दओ गओ उर र्इ की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग कौ दर्इ गर्इ। तब से अबे लौ जो पुस्तकालय शिक्षा विभाग की देखरेख में चलरओ है।
            वैसे तो सालभरे में र्इ पुस्तकालय के रखरखाव के लाने पेलऊ पन्द्रह हजार रूपए वार्षिक मिलरय पै कछु सालन से बेर्इ नर्इ मिल रय। तोर्इ अपनी धुन के पक्के श्री मेहरा जू, जी जान से र्इ पुस्तकालय कौ सजावें-सवाँरवे में लगे है ,पे अपनौ तन,मन,धन सबर्इ र्इ पुस्तकालय कौ दे रये है।
            र्इ पुस्तकालय में लगभग बीस हजार पुस्तकें है, इनमें भौत सारी हस्तलिखित पुस्तकें जौन संस्कृत भाषा में लिखी भर्इ है सोर्इ है जौ कि साहित्य कि धरोहर के रूप में धरी हैंं। राजा राम मोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान कोलकाता से प्राप्त लगभग दस हजार पुस्तकें उर लोक शिक्षण संचानालय भोपाल म.प्र. द्वारा प्रदत्त लगभग एक हजार। स्थानीय साहित्यकारों की लगभग सौ से अधिक पुस्तकें इस पुस्तकालय की शोभा बढ़ा रही है। कम जगह होने पे भी करीने से रखी पुस्तकें प्रत्येक अलमारी पर नम्बर व केटलाग दओ गओ हेै कुल मिला कर जो पुस्तकालय बहुत ही आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है।
श्री मेहरा जी ने हमें बताओं है कि र्इ पुस्तकालय के लगभग तेरह सौ आजीवन सदस्य तथा 300 सदस्य अस्थार्इ रूप से है। लगभग साठ पाठक इतै पुस्तकें लेवें व समाचार-पत्र पढवें रोजर्इ आत रत है।
            इतनौर्इ नर्इ अपने पइसा से इंटरनेट कनेक्शन नेटसेटर के माध्यम से इंटरनेट सेवा करवा लओ, र्इ की मदद से वे पाठखन कौ पुस्तकौं को ढूँढ़ने व ऊ से संबधित जानकारी उपलब्ध करा देत हैं। वो भी मुफत में । र्इकै लाने उससे कोनऊ शुल्क नर्इ लओ जात है, बिल्कुल नि:शुल्क है। पाठकों कौ मात्र र्इ पुस्तकालय कौ सदस्य बनने पड़त है। जी की सदस्यता शुल्क मात्र सौ रूपए हेै तथा दो रूपए कौ फार्म भर कै कौनऊ भी र्इ कौ सदस्य बन सकत है। जै रूइया भी अमानत के रूप में लये जात है जो कि सदस्यता वापिस लेने या खतम करने पर वापिस मिल जात है।                                                              
        श्री विजय कुमार मेहरा जी की मंशा है कि र्इ पुस्तकालय की एक बेबसाइट बन जाये तो और नोनो रहे पै र्इ कै लाने लगभग बीस हजार रूपइया चाने हैं। कोनऊ सरकारी राशि व मदद न मिलने के कारण अभी इनकी इच्छा अधूरी है लेकिन उनके हौंसले बुलंद है तभी तौ वे शांत नर्इ बैठे है अपने निजी संसाधनो का उपयोग करके तथा मेहरा जी ने स्वयं पुस्तकों की सूची एवं डाटा अपने स्वयं के लेपटाप पै फीड करो है जौ सबरौ डाटा एम.एस.आफिस प्रोग्राम की एक्सल सीट पै बनाओ गओ है र्इ में पुस्तकन कौ नाव,ऊके लेखक कौ नाव, मूल्य,छपवें को सन,पेजन की संख्या व पुस्तक की विषय वस्तु आदि जानकारी दर्इ गयी।
            पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की सूची की सोशल साइट फेसबुक पर आनलाइन  भी करो गओ है र्इके लाने फेसबुक पे डिस्ट्रक्ट लाइबे्ररी टीकमगढ़  ;क्पेजतपबज सपइतंतल जपांउहंजीद्ध कौ एक पेज बनाओ गओ है जीमे जिला पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की सूची तक पहुँचने के लिए एक लिंक डाला गया है। इस लिंक पे किलक करत ही जिला पुस्तकालय में उपलब्ध पुस्तकों की सबरी जानकारी मिल जात है।
            श्री मेहरा जी की साहितियक रूचि का एक और उदाहरण जौ है कि र्इ पुस्तकालय में नगर की सर्वाधिक सक्रिय साहितियक संस्था म.प्र. लेखक संघ अपनी साहितियक गोषिठयाँ हर मइना के आखिरी रविवार कौ आयोजित करत है जीमे नगर के साहित्यकार एक साथ बैठ कर साहित्य का चिंतन व नव सृजन करते है। र्इ काम में श्री मेहरा जी की मदद करवें के लाने श्री परमेश्वरी दास तिवारी जु एवं म.प्र. लेखक संघ के जिलाध्यक्ष व साहित्यकार राजीव नामदेव'राना लिधौरीसोर्इ उनके संगे लगेरात है।
            श्री मेहरा जी कौ साहित्य व पुस्तक प्रेम कौ देख के नगर की परसिद्ध साहितियक संस्था 'म.प्र. लेखक संघ की जिला इकार्इ टीकमगढ़ के अध्यक्ष राजीव नामदेव 'राना लिधौरी ने इने 'म.प्र. लेखक संघ की 162 वीं गोष्ठी में दिनांक 21 जुलार्इ सन-2012 कौ 'आकांक्षा पत्रिका का विमोचन एवं सम्मान समारोह के सुअवसर पै 'साहित्य सौरभ सम्मान-2012 एवं शाल श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित सोर्इ करो हतो।
            र्इ तरहा से जौ पुस्तकालय कम संसाधनों व सीमित स्थान में भी सर्इ माइने में साहित्य की अमूल्य सेवा कर रओ है। र्इकौं सजावे व सवारवें वारे और तन,मन,धन से लगे साहित्य प्रेमी श्री विजय कुमार जी मेहरा जू कौ हम भौत-भौत धन्यवाद देत है।

    -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
        संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
       अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
      शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
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बुन्देली व्यग्ंय-''लुकलुक की बीमारी -राजीव नामदेव''राना लिधौरी,टीकमगढ़

बुन्देली व्यग्ंय-''लुकलुक की बीमारी
                                -राजीव नामदेव''राना लिधौरी,टीकमगढ़,(म.प्र.)

                हमाये इतै कछु दिनन से नये-नये कवि पैदा भये पैला से वे कवितार्इ नर्इ करतते पर जब सै सरकार ने उनै रिडायर्ड करदऔ तबसै वे सठिया गये और 'सरतारौ बानिया का करे की कानात को अपनारये हते, सौ कोनऊ ने उनसे कै दर्इ कि कवि बन जाओ सौ उनने कर्इ कि कवि तो जन्मजात होत है ऐसे कैसे बन जात है? उनने कर्इ आजकाल तौ सबर्इ जने कवि बन जात है। वे ठलुआ तो हो गये हते सो उन्ने कोशिस करी तो कछु इतार्इ कि कछु उतार्इ की जोर-तोर के चार छ: कवितायें बना डारी और कवि बन गये बार सफेद हते, उन्ना सोर्इ सफेद पैर लये तना सी दाढ़ी घर लर्इ, लो बन गये कवि। अब उने झटटर्इ अपनौ नाव कवियन में करवै की लुकी लुकी भर्इ, जा एक भौत बुरर्इ नर्इ बीमारी पर गयी जौ उनखौ पीछो अबे लौ नर्इ छोर रर्इ। अब शहर में कितऊ भी कोनऊ साहितियक पिरोगराम या कवि सम्मेलन हुये जै साहब उतै जरूर पौच जेहे। उन्हें पैचानवे में कोनऊ परेशानी नर्इ होत है, काइसै कै जै उतर्इ मंच कै ऐंगरें ही लुकलुकात फिरत है। कछु नर्इ तो तनक -तनक देर में मंच पै पौच कै मइक ठीक करन लगत है ऐसे लगत जैसे जै पिछले जनम में माइक सुधारवे के स्पेशलिष्ट भये हुये।
                एक बैर का भओ कि शहर में एक बुन्देली पै कवि सम्मेलन हतौ अब ये लुक-लुक साब तौ बुन्देली में तनकऊ नर्इ लिख पातते, सौ उनकीे इतै कविता पढवै की दार नर्इ गलने हती, पर का करै, मजबूरी हती सौ जै सबसे पैला की लाइन में जगां अगेज कै सबसे पैला कुर्सी पै धररये। अब साब कवि सम्मेलन चालू भओ, सो जो इनै लुकलुक की बीमारी हती ऊकौ कीरा गुलबुलान लगौ सो इनै कछु न सूजी, जै उतर्इ से एक पैरे से पैराओ भओ गजरा ढूंढ लाये और मंच पै चढ कै ऊ समय जौन कवि पढ़ रओ हतो उखौ पैरा दओ, और तारी बजान लगे जैसे कछु जग्ग जीत लओ हो,सौ कछु लोगन ने उनके देखादेखी सोर्इ तारी बजा दर्इ। अब इनकी लुकलुकी तनक कम भर्इ सो जै अपनी जागा पै आकै बैठ गयें। आदा घंटे बाद इनै फिरकै लुकलुकी उठी, सौ जै फिरकै कऊ से एक गजरा ढूंढ कै लाये और मंच पै जान लगे, सौ पछार्इ बैठे श्रोताओं में से कोनऊ ने जोर से कर्इ -जौ कौ बब्बा अय। जौ भार्इ लुकलुकात फिररऔ, सौ बगल बारे ने कर्इ सठिया गओ है दूसरे नै कर्इ इतर्इ कौ नओ-नओ कवि बनो है सौ आज र्इखौ पढवे नर्इ मिल रओ, सो फरफरात फिर रओ और  गजरा डार -डार कै अपनौ मन भर रओ, एर्इ बहाने से मंच पे जावे की लुकलुकी शांत कररओ। एकाद बेर फोटो सोर्इ खिंच जात सौ जै ऊखौं मडवा कै अपने इतै घरे टांग लेत है और कत फिरत है कि हमने ऊके संगे कविता पडी हती वे तो हमाये मित्र है। अब फोटो देखवे वारे कौ का पतौ कि जा फोटो कैसे खिांची हती। जो बब्बा हर कवि सम्मेलन में जोर्इ नौटंकी करत है हम तौ कर्इ बेर देख चुके है। सबरै सुनवे वारे इन्हैं चीनन लगे है लगत है तुम नये आये हो? एर्इ से तुमै नर्इ मालूम।
                इन साब की लुकलुक की बीमारी खौ देख के शहर भर के कवियन ने इनकौ नाव 'लुकलुक कवि धर दओ। अब इन मैं एक विदया तो जन्मजात हती सौ ऊकी दम पै और नैतन की चमचयार्इ करकै इतै उतै की बातें बानकै नेतन के हात पाव जोर कै कैसै भी पैसा ऐठ कै एकाध कवि गोष्ठी अपने घरे करा लर्इ और उन्हीं नेतन खौ शाल श्रीफल सै सम्मान करदओ। शहर भर कै नेतन खौ सम्मान करकै जै अफरै नइयाँ सौ अब उनखै चमचन खौ सोर्इ सम्मान करत जा रये। अब इतै जा सोसवे बारी बात है कि साहितियक गोष्ठी में नेतन कौ सम्मान करवै की का तुक है वे कुन अटल बिहारी है कि कवि  है। जे तो साहित्य कौ 'हींग कौ घगा तो जानत नर्इया और सम्मानित हो रये,जै तो बोर्इ बात हो गर्इ कि मूरखन कै राज मैं 'गधा पजीरी खा रये, लेकिन का करै चमचयार्इ में जो सब तो करनै पडत है। अबे तक तो जा कानात सुनी ती कि 'मुसीबत में गधे को बाप बनालओ जात है पर अब तो पैसन के लाने जी चाये खौ कछु भी बनालो।
अबे तक तो साहित्यकार इन सबसे दूर रततै। साहित्यकारन खौ जो सब नोनो नर्इ लगत है,साहित्यकारन की तौ स्वाभिमान,इज्जत एवं प्रशंसा ही पूंजी रत है। साहित्यकार खौ मतलब होत है जो सबको हित करे वही साहित्यकार होत है जो नर्इ कि केवल अपनौ हित साध लओ। नेतन की चमचयार्इ और लुकलुक करवों अपुन साहित्यकारन कौ नोनो लर्इ लगत है पर का करै जमानौ सोर्इ बदल रओ है। झटटर्इ परसिधी पावे खौ जो शोर्टकट रास्तो है। कछुन ने र्इखौं अपना लओ है।
                अब लुकलुक साब खौ दो तीन साल कवितार्इ करत भये हो गये सो उनने कवियन की कविता पढवे की नकल,मंच की अदाये सीख लर्इ वे अब कवियन में गिने जाने लगे और स्वयं खौ शहर खौ सबसे बड़ो कवि मानन लगे। वे अपने लुकलुकावे को कोनउ मौका हात से नर्इ जान देत है। शहर में जब कभउ कौनउ भी कवि सम्मेलन होत है और ऊ में कोनउ नओ कवि शहर में आवो तो वे एक डायरी लेके ऊखै इतै पौंच कै ऊखों नाव पतौ और मोबाइल नंबर जरूर लिख लेत है और उये जब तक पेरत रत है जब तक कि वौ इने अपने इते एक वेर नर्इ बुला लेत है। दौबारा उतै जावे की नौबत नर्इ आत है। वे जान जात है कि जै कितै बडे वारे है।
                वे अब जब भी मंच पै जात है तो एक दो नर्इ से उनकी लुकलुकी नर्इ जात कम सेे कम छ:सात कविताये तो फटकार आत है संचालक महोदय इनसे बैठवै की बिनती करत-करत थक कै गम्म खाकै बैेठ जात। यदि जै कभऊ कोनउ गोष्ठी कौ सचांलन कर रये तौ फिर उनसे भगवान भी नर्इ बचा सकत है लुकलुक साब कि कछु कवितायें तो गोल्डन जुबली मना चुकी है फिर भी जै बडे शान से ऊ कविता खौ ऐसे सुनात जैसे पैली बेर सुना रये हो।
                उनकी देखादेखी कछु कवियन खौ सोर्इ जा लुकलुक की बीमारी लगगर्इ है। सौ भइया इनर्इ जैसन लुकलुकन की लुकलुकी कम करवै के लाने जौ व्युंग्य लिखौ भओ है। अब का करे जैसै कंपूटर में बाइयरस आ जात है बैसे अब साहित्य में सोर्इ बायरस आन लगे है। यदि इनकौ इलाज नर्इ करो गओ तो जै साहित्य खौ हेंग करके सबरौ साहित्य खौ चाट जेहे। अपुन नै तो एंटीबाइरस अपने एगर धर लओ है ताकि इनके प्रभाव से बचत रये,लेकिन फिर भी कभऊ-कभऊ इनकी चपेट में सोर्इ आ जात है। इनकी मीठी और चापलूसी की बातन में आ जात है। सो भइयाहरौ जा लुकलक की बीमारी भौत खतरनाक है र्इसै अपने खौ बचावे राखने है।
                   
 -     राजीव नामदेव ''राना लिधौरी,टीकमगढ़,(म.प्र.)
         संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र..लेखक संघ
नर्इ चर्च के पीछे,षिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (म.प्र.) पिन कोड-472001
मोबाइल न.-9893520965

     Bloggs- rajeev namdeo rana lidhori. Blogspot.com



रविवार, 3 नवंबर 2013

राजीव नामदेव'राना लिधौरी के 'इंटरनेट पर उनके तीन ब्लागों पढे़

        अब 'राना लिधौरी की कविताएँ 'इंटरनेट पर उनके तीन ब्लागों में पढे़-

टीकमगढ़ म.प्र. की सुप्रसिद्ध साहितियक संस्था 'म.प्र.लेखक संघ की जिला इकार्इ टीकमगढ़ जिलाध्यक्ष एवं ख्याति प्राप्त कवि राजीव नामदेव 'राना लिधौरी की कविताएँ उनके चाहनेवाले अब इंटरनेट पर उनके ब्लाग पर भी पढ़ सकते है। इसके लिए गूगल पर राजीवरानालिधौरी डाट ब्लागस्पाट डाट काम (www.rajeevranalidhori.blogspot.com)  टाइप करे। राजीव नामदेव 'राना लिधौरी के  हास्य व्ंयग्य पढ़ने के लिए इंटरनेट पर उनके निम्न ब्लाग पढे़।  इसके लिए गूगल पर व्यंग्य संसार डाट ब्लागस्पाट डाट काम (www.vyangsansar.blogspot.com)  टाइप करे।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी के  बुंदेली बोली में आलेख व रचनाएँ पढ़ने के लिए इंटरनेट पर उनके निम्न ब्लाग पढे़।  इसके लिए गूगल पर बुंदेलखण्डनालेज डाट ब्लागस्पाट डाट काम (www. bundelkhandknowlege. blogspot.com) टाइप करे।राजीव नामदेव राना लिधौरी 'फेशबुक पर भी उपलब्ध है 'फेशबुक पर उनके 330 से अधिक फालोवर है।
गौरतलब हो कि राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' के ब्लाग कोे पढ़ने वाले पाठक भारत के साथ-साथ भारत के साथ-साथ अमेरिका,रूस, मलेशिया, जर्मनी, द.कोरिया, नीदरलैंड, बि्रटेन, सिवडजरलैंड, फ्र्रांस,यूक्रेन,साउदी अरव,ब्राजील,आदि देशो के पाठक है। नगर की सुप्रसिद्ध साहितियक संस्था 'म.प्र.लेखक संघ की जिला इकार्इ टीकमगढ़ द्वारा प्रकाशित जिले की एकमात्र साहितियक पत्रिका 'आकांक्षा को अब इंटरनेट पर ब्लाग में भी पढ़ा जा सकता है। इसके लिए गूगल पर  आकांक्षा टीकेजी डाट ब्लागस्पाट डाट काम (www.akankshatkg.blogspot.com)  टाइप करे। 'आकांक्षा के इंटरनेट संस्करण का संपादन राजीव नामदेव 'राना लिधौरी व विजय कुमार मेहरा ने संयुक्त रूप से किया है। गौरतलब हो कि मात्र दो माह से भी कम समय में अब तक 1000 पाठकों ने इंटरनेट पर 'आकांक्षा पत्रिका को पढ़ चुके है पाठकों में भारत के साथ-साथ अमेरिका, दुबर्इ, यूएर्इ, आस्ट्रलिया, पाकिस्तान, रूस़, आदि विदेशों के पाठक भी शामिल है।

शनिवार, 19 अक्टूबर 2013

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी की अब तक प्रकाशित पुस्तकें

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी की अब तक प्रकाशित पुस्तकें                      
                      




                                            1-  'अर्चना (कविता  संग्रह)
टीकमगढ़ के युवा कवि राजीव नामदेव 'राना लिधौरी के  छात्र जीवन (सन 1997) में लिखा कविता संग्रह 'अर्चना 32 पेज में 23 विविध रंगों में रचित बाल कविताएँ संपादक के नाम से मात्र 25 रु.का एम.ओ.भेजकर प्राप्त करें।



                                             
                                                 2- 'रजनीगंधा (हिन्दी हाइकु संग्रह)
टीकमगढ़ के साहित्यकार राजीव नामदेव 'राना लिधौरी का सन 2008 में लिखा हुआ। सन 2011 में 2100 रू. का 'स्व.पं.राधिका प्रसाद पाठक हाइकु सम्मान 2011 प्राप्त, बहुचर्चित हिन्दी हाइकु संग्रह 'रजनीगंधा 64 पेज में 250 हाइकुओं का मज़ा मात्र 35 रु.का एम.ओ.संपादक के पते पर। भेजकर प्राप्त करें।


                                             
                                                3- 'नौनी लगे बुन्देली
                                         (विश्व का'बुन्देली में प्रकाशित पहला हाइकु संग्रह)
टीकमगढ़ (म.प्र.) के बहुचर्चित युवा कवि राजीव नामदेव 'राना लिधौरी का सन 2010 में रचित विश्व में 'बुन्देली का पहला हाइकु संग्रह 'नौंनी लगे बुन्देली जिसमें 88 पेज में 100 'बुंदेली हाइकु एवं राना लिधौरी का सम्पूर्ण परिचय पढ़ें। मात्र 80 रु. का एम.ओ. भेजकर प्राप्त करें। संपादक के पते पर प्राप्त करे।
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
 अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965



शनिवार, 12 अक्टूबर 2013

बुन्देलखण्ड़ की प्रमुख पत्रिकायें आलेख-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी

आलेख-''बुन्देलखण्ड़ की प्रमुख पत्रिकायें
                (आलेख-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी)
           
            बुन्देलखण्ड कवियन और साहित्यकारन की खान हती और अबै है। सो इतै से मुलकन पत्रिकाएँ निकरत हतीं और अबै  निकर रइर्ं । बैसै सबसैं पैलाँ सन 1932 में 'वीर बुन्देल पत्रिका निकरी ती फिर दूसरी हमाये टीकमगढ़ सें श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद द्वारा 1 अक्टूबर सन 1940 सें 'मधुकर (पाक्षिक पत्र) नाव से निकरत हती जी के संपादक देश के जानेमाने लेखक पत्रकार दादा श्री बनारसीदास चतुर्वेदी जी हते। 'मधुकर में 'बुन्देली उर खड़ी बोली में कविताएँ व आलेख छपत हते। जून सन 1944 सें 'लोकवार्ता त्रैमासिक टीकमगढ़ से कड़न लगी जी को सम्पादन श्री कृष्णानंद गुप्त जू करत ते।'विन्ध्यवाणी साप्ताहिक टीकमगढ़ से 2 अक्टूबर सन 1948 से छपन लगो, सन 1962र्इ. में श्री कन्हैया लाला जू 'कलश ने गुरसराय से 'बुन्देली वार्ता शुरू  करो, फिर  डा. हरि सिंह गौर विश्व विधालय सागर से सन 1983-84 से 'र्इसुरी नाव से पत्रिका कौ प्रकाशन भऔ, जी के संपादक डा. कांति कुमार जैन हते र्इ में बुन्देलखण्ड के साहित्यकारन कौ एनर्इ स्थान मिलत हतो र्इ मे 'बुन्देली शब्द कोश कौ प्रकाशन भी होत हतो जो कि भौतर्इ काम कौ हतो।
        संवत 2038 से छतरपुर से 'मामुलिया पत्रिका डा. नर्मदा प्रसाद जी गुप्त के कुशल सपांदन में निकरत हती। छतरपुर से ही बसारी बुन्देली मेला उत्सव पर  'बुंदेली बसंत नाव से एक वार्षिक पत्रिका(स्मारिका) सन 2000 से निकरन लगी जी कै संपादक डा. बहादुर सिंह जी परमार है, जा पत्रिका एक शोध ग्रंथ को काम करत है। र्इ में 150 पेजन में बुन्देली से सम्बधित सबर्इ तरहा की जानकारी छपत है।
        एर्इ तरहा की एक वार्षिक पत्रिका 'बुन्देली दरसन हटा जिला दमोह से सोउ  सन  2008 से निकरन लगी है। जी को संपादन डा. एम.एम.पाण्डे जू करत, जा पत्रिका नगर पालिका हटा के द्वारा बुन्देली मेला पै हर साल निकरत। र्इ कौ चौथौ अंक भी अबर्इ कछु दिनन में निकरबै वारौ है। र्इ में सोउ मुलक पन्ना रत । तीसरे अंक सन 2010 में 124 पेज हते, रंगीन झाँकियन ओर फोटयन सैं सजी धजी जा पत्रिका भी मन खौ एनर्इ नौनी लगत । दमोह से 'बुंदेली अर्चन सोउ सन 2010 सें  निकरवौ शुरू भर्इ । ग्वालियर सै 'आखर माटी नाव सै सोउ एक पत्रिका निकरत ।            
    टीकमगढ़ (म.प्र.) से 'आकांक्षा नाँव से भी सन 2006 से एक वार्षिक लघु पत्रिका पचास पेजन की राजीव नामदेव 'राना लिधौरी के संपादन में निकरत है, र्इ में सोउ बुन्देली की कविताएँ छपती है। जी कौ सन 2015 कौ अंक 10 'माँ, विशेषांक के रूप में छपो  है जोउ अपुने हातन में है। सन 2006 से एक औरर्इ लघु चौमासा पत्रिका 48 पेजन की उरर्इ जिला जालौन (उ.प्र.) से 'स्पंदन नाव से निकरन लगी हैं। जी कै संपादक डा. कुमारेन्द्र सिंह जी सेंगर हैं।
            सन 2010 में छतरपुर से एक 'अथार्इ की बातें नाव से शुद्ध बुन्देली में एक त्रैमासिक पत्रिका श्री सुरेन्द शर्मा 'शिरीष जी के सपांदन के शुरू भइ है, जी कौ दूसरौ अंक छप गऔ है।साप्ताहिक निर्दलीय समाचार पत्र (भोपाल),चौमासा आदि।
 र्इ तरा से बुंदेली खौ बढावौ देवै वारी मुलकन पत्रिकाएँ निकरन लगी हैं। जी से बुन्देली कौ खूबर्इ नाव देश भर में हो रऔ है। इन पत्र-पत्रिकाओं में बुन्देलखण्ड की लोक संस्कृति एवं लोक साहित्य आदि की विशेषताओं को देश भर में एनर्इ बिखेरों है जा से बुन्देली को मान बढ़ो उर हमार्इ बुन्देली आज सबर्इ खौं नौनी लगन लगी है।
            मुलकन फिलमें सोउ बुन्देली में बनन लगी और बुन्देली लोकगीत तो देश भरे में सुने जात है। 'पीपली लाइव फिलम कांै गाना (लोकगीत) 'मंहगार्इ डायन खाय जात है तो एनर्इ पिरसिद्ध भओ। र्इ गाना (लोकगीत) ने तौ पूरे देशभरे में धूम मचा दयी। अब 'बुन्देली को भविष्य भौत ऊजरौ दिखार्इ देन लगो है।            
        &बुन्देलखण्ड़ की प्रमुख पत्रिकायें आलेख-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
        संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
       अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
      शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)मोबाइल-9893520965
       साभार-'आकांक्षा पत्रिका टीकमगढ़ अंक-7 (2011) सपांदक-राजीव नामदेव'राना लिधौरी

बुधवार, 17 जुलाई 2013

bundelkhand ke kuldevta


                             

                      अस्था के प्रतीक बुन्देलखण्ड के प्रसिद्ध कुलदेवता 

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                           dNw yksx xk¡ou esa vius dqynsork ds uko dkS ^x<+k* ¼,d izdkj dkS dkjs ;k yky jax dkS /kkxk½ lksm ck¡/kr gS tks fd [kkl rkSj ij tc ck¡/kkS tkr gS tc ?kj esa dkSum dh rfc;r vpkud [kjkc gks x;h gks ;k dksbZ Åijh gok Hkwr ijSr vkfn dkS pDdj yxr gks ;k fQj dksum tuh ds cPps gksos okjks gq;ss] rc Å tuh [kkS tkS x<+k  bZ mEehn ls ck¡/k tkr gS fd gek;s dqynsork tPpk vkSj cPpk nksuÅ dh j{kk djgsaA dHkm&dHkm ?kj ds dkSum dh jkr esa HkkSr rfc;r [kjkc gks tkr gS ;k isV vkfn esa rst njn gksu yxr gS rks brSd jkr esa MkWDVj ds ikl ubZ tk ldus ds dkj.k ?kj ds yksx vius dqy nsork ds uko dh ^HkHkwr* m[kkS  dks FkksM+h [kkcs [kkSs ns nsr gS vkSj rud lh mds ewM is lksbZ yxk nsr gaSA viqu [kkSa vkpjt rks rc gksr gS tc dksm viqu [kksa tkS lqukr gS fd gesa bZ HkHkwr ls vkjke fey xvkS grksA xk¡ou esa rks ,slksa HkkSr csj lquos [kksa feybZ tkr gSA

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¼1½ chtklsu ¼2½ ?kVkSfj;k ckck ¼3½ ihj ckck ¼4½iBku ckck ¼5½ esgrj ckck ¼6½ jDdl ckck ¼7½ uV ckck
¼8½ dkjl nso ¼9½ [kkrh ckck ¼10½ dqynsork ¼11½ xkSM+ ckck ¼12½ lrh pkSjk ¼13½ dY;k.k flag ckck
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¼20½ [kSjkifr ¼21½ xkSlkbu ekrk ¼22½ xkSlkbZ ckck ¼23½ooZjhd ¼24½ xkSM+nso ¼25½ esgj ckck ¼26½ cM+h ekrk ¼27½ NksVh ekrk ¼28½ Hkxoariqjk ds cCck  ¼29½ vCnkihj ¼30½ [ksjs okjs vkfnA
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                           dNw rks lR;rk bu dqynsork vkSj yksdnsoru esa vo'; gh jr gS vkSj mudkS lksm dksum u dksum otwn vo'; jr gS rHkbZ rks os vkt lksbZ gek;s HkkSr ihf<+;u ls fujUrj iwts tk j;s gSA tss dqynsork gek;s vkLFkk dk dsUnz cus Hk, gS vkt lksbZ cqUnsy[k.M ds lcbZ ?kju esa vknj ds lkr iwts tkr gS vkSj xk¡ou esa rks bUgsa lcls vxÅ iSysbZ iwtkS  tkr gS fQj vksj;s ijeq[k nsorkvksa [kkasA gek;s brS lcbZ 'kqHkvolj is mUgas ;kn djr Hk, mudkS vk'khokZn vo'; yvkS tkr gSA
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                                    laiknd ^vkdka{kk* if=dk
                                    v/;{k&e-iz ys[kd la?k]Vhdex<+
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           सिक्को एंव माचिसो मे समेटे बुन्देलखण्ड की धरोहर


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                  dHkh vkius ns[kk gS ^ckbl #i, dk flDdk* ;k ^ipiu iSls dk flDdk* ;k fQj ^fcuk ewY; dk flDdk* tSls fQYe ^'kksys* esa vferkHk cPpu ds ikl Fkk] ugha] u \ rks vkb;s flDdksa ds laxzg ds 'kkSdhu jkuk fy/kkSjh ds iklA Vhdex<+ fuoklh lkfgR;dkj jktho ukenso ^jkuk fy/kkSjh* dks flDds ,oa ekfpls laxzg djus dk cgqr 'kkSd gS]mUgksaus yxHkx 3000 fofHkUu izdkj dh ekfplksa ds laxzg ds lkFk&lkFk yxHkx 600 izdkj ds fofHkUu u, ,oa iqjkus flDdksa dk Hkh laxzg fd;k gSA ftlesa 24 ns'kksa ds 70 flDds ,oa 3 cgqewY; fel fizaV flDds lfgr ns'k ds iqjkus ,oa u, 200 izdkj ds flDds muds laxzg ekStwn gSA fons'kksa esa phu] vesfjdk] usiky] Qzkal] baXySaM+] bVyh];w-,l-,-] ;w-,-bZ] flaxkiqj] dksfj;k] gk¡xdkWx] MsuekdZ] blzkby] uhnjySaM+] U;wthySaM+] Lisu] bVkfyuk] csYth;] csYxzhd] blikuk]vkfn] fons'kksa ds flDdksa ds vykok ns'k ds iqjkus eqxydkyhu ,oa xtk'kkgh flDdksa lfgr pkj vkuk 3 izdkj ds] nks vkuk 2] ,d vkuk 2] ikSu vkuk 1] vk/kk vkuk 3] iko vkuk 5 izdkj ds lfgr u;s flDdksa esa ik¡p #i, ds 7] nks :i, ds 13] ,d #i, ds 21] ipkl iSls ds 14] iPphl iSls ds 7] chl iSls ds ik¡p] nl iSls ds 14] ik¡p iSls ds 6] rhu iSls ds 1] nks iSls ds 2] ,d iSls ds 4 izdkj ds flDds gS] buds vykok dqN vuks[ks fel fizaV flDds tSls 22 #i,] 55 iSls dk flDdk ,oa ^fcuk ewY; dk flDdk* vkfn Hkh mudh laxzg esa 'kksHkk c<+k jgs gSA jkuk fy/kkSjh crkrs gS fd ^fcuk ewY; ckys flDds dher rhl gtkj #i, rd yx pqdh gS ysfdu mUgksaus iSlkas dh [k+kfrj mls csPkk ughaA ;g flDdk vHkh Hkh muds laxzg dh 'kksHkk c<+k jgk gSA
           
      vuks[ks cgqewY; ^fel fizaV* flDdksa ds ckjs esa FkksM+h lh tkudkjh %&

¼1½ 22 #i, dk flDdk* %&,d nks #i, dk flDdk gS ftl ij nks okj 2&2 Ni x;k gSA bl izdkj                         ;g flDdk i<+us esa 22   #i, vkrk gSA

¼2½ 55 iSls dk flDdk* %&lu~ 1982 esa <yk ;g flDdk ;¡w rks ns[kus esa ik¡p iSls dk flDdk ds vkdkj
                  dk gS]ysfdu blesa xyrh ls 55 iSls ¼nks okj 5]5½ Ni x;k gS rFkk flDds                     ds nwljh rjQ v'kksd fpàu Hkh nks okj Ni x;k gSA

¼3½ fcuk ewY; dk flDdk* %&,d] ,d #i, dk flDdk gS ftl ij fd dgha Hkh mldk ewY; vafdr     ugha gS vkSj nksuksa rjQ gh v'kksd LraHk dk fpàu Nik gS vFkkZr flDds   esa ^gsM* gh ^gsM* g]S ^Vsy* ugha gSA ;kfu fd nksuks rjQ fpRr gS iV~V       ughaA tSls fd fQYe ^'kkSys* esa vferkHk cPpu ds ikl FkkA fQYe esa rks og flDdk udyh Fkk] ysfdu jkuk fy/kkSjh ds ikl bl oD+r oSlk gh vlyh flDdk ekStwn gS tks muds laxzg dh vewY; /kjksgj gSA ftls yksx   nwj&nwj ls ns[kus vkrs gSA jkuk fy/kkSjh ds ^ekfplksa ,oa flDdkas dk laxzgky;* ns[kus yksx nwj &nwj ls vkrs gS ,oa mudh enn Hkh u;s &u;s flDds ,oa ekfpls nsdj djrs gSA iwjs cqUnsy[k.M+ esa mudk ;g laxzgky; vkd"kZ.k dk dsUnz cuk gqvk  gS] jkuk fy/kkSjh ds laxzgky; ,oa mudk bUVjO;w ^nwjn'kZu* ,oa ^lgkjk* pSuy]bZ-e-iz-VhOgh- vkfn fofHkUu Vh-Ogh- pSuy ij izlkfjr fd;k tk pqdk gS lSadM+ksa i=&if=dkvksa esa muds lfp= fooj.k Nik gSA bruh vf/kd la[;k esa ekfplksa ,oa flDdksa dk laxzg djds Hkh jkuk fy/kkSjh larq"V ugh gS] os pkgrs gS fd ftl izdkj Hkkjr ds dksus&dksus dh ekfpls muds laxzg dh 'kksHkk c<+k jgha gS mlh rjg fo'o ds dksus&dksus ds ns'kksa dh ekfpls Hkh muds laxg esa 'kkfey gksA cSls dbZ fons'kh ekfpls buds laxzg esa 'kksHkk;eku gSA dbZ fons'kh i=&fe= Hkh budh enn dj jgs gSaA jkuk fy/kkSjh ;g iz;kl dj jgs gS fd budk uke xzhuht cqd vkWQ oYMZ fjdkMZl esa 'kkfey gks tk;s A
                  xkSjryc gks fd jkuk fy/kkSjh lqizfl) dfo ,ao 'kk;j Hkh gS tks fd e-iz- ds jkT;iky MkW- cyjke tk[kM+ th }kjk lu~ 2005 esa lEekfur gks pqds gSA Hkkjr ds 18 izakrksasa ls yxHkx 60 lkfgfR;d lEeku] fofHkUu lkfgfR;d laLFkkvksa }kjk izkIr dj pqds gS] rhu dkO; laxzg^vpZuk*¼1997½ ,oa ^jtuh xa/kk* ¼2008½ ,oa ^ukSuh yxs cqUnsyh*¼2010½ ¼fo'o esa cqansyh esa fy[kk igyk gkbdq laxzg½ esa izdkf'kr ,ao 13 fofHkUu laxzg izdk'ku gsrq rS;kj gSA vkdka{kk]l`tu]laxe] vuqjks/k vkSj nhiekyk if=dkvksa dk laiknu dj pqds gS ns'k dh 350 ls Hkh vf/kd yC/k izfrf"Br i= if=dkvks esa yxHkx 3000 ls Hkh vf/kd jpuk;s Ni pqdh gSA vki e-iz- ys[kd la?k ds ftyk/;{k Hkh gS ,oa Vhdex<+ ftys ls izdkf'kr ,dek= lkfgfR;d if=dk ^vkdka{kk* ds laiknd gSA orZeku esa vki  Vhdex<+ uxj esa ubZ ppZ ds ihNs]f'kouxj dkyksuh]esa fuokl dj jgs gSA ekfplksa ,oa flDdkas dk laxzg ]lkfgR; ys[ku ,ao Vhdex<+ ftys dk uke Hkkjr gh ugha oju~ fons'kkas rd esa jkS'ku dj jgs gSA
                  mudk iwjk irk eSa uhps fy[k jgh g¡w rkfd yksxksa muls feyus ,oa laidZ djus esa
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